Sunday, November 29, 2009

यादे .......


नमस्कार ,
कहते उपर वाले ने जब चाँद बनाया था जब वो अपनी कल्पनाओ और अतीत की यादो में खोया हुआ था | देखिये ना ये है भी कितना अजीब हर रोज़ अपना रूप और आकर बदलता रहता है और चमकता रहता है इस अँधेरे आसमान में , इतने सारे सितारों के साथ जैसे ये भी कही खोया हुआ हो, मगन हो अपने ही सपनो के संसार में | १ बार श्री अशोक चक्रधर साहब ने कहा था की " ये जो चाँद है ये हमें यादो की मांद में ले जाता है " | तो चलिए हम भी चलते है यादो की इस मांद में, गुफाओ में, पहाड़ो के बीच और ढूंढ़ते है यादो की नदी | चलिए चलते है समय की इस नाव पे बैठ के इस चांदनी रात में, चाँद के संग, यादो के इस नौका विहार पे |
यादे भी बहुत अजीब होती है , इसनकी भी अपनी ही १ अदा है , मौसकी है , अंदाज़ है , रुतबा है , खामोश सा शोर है , और शोर भरी ख़ामोशी है | यादो के छींटे जब जब भी चहरे पे पड़ते है तो हर बार १ नया अहसास देकर जाते है | कुछ यादे ऐसी होती होती है जो चेहरे पे ताजगी ले आती है ,१ खुशी सी मुस्कान सी छा जाती है | कुछ यादे मुस्कान तो लाती है पर उसके छींटे आँखों को भी नम भी कर देते है , कुछ छींटे दिल में टीस और आँखों पे पानी छोड़ जाते है तो कुछ आँखों में जलन भी देते है| पर कई बार ये जलन आँखों को साफ़ भी कर देती है | यादो के पानी से धुली हुई आँखों से ये दुनिया कुछ ज्यादा ही साफ़ दिखने लगती है | कुछ यादे ज़हन में हमेशा के लिए बस जाती है, वो हमें अपने आप से ही गुम कर देती है| कई बार कोई मुस्कुराता हुआ चेहरा हमारे ख्यालो में बसा जाता है | हम यू ही बेवजह , ऐसे ही मुस्कुरा पड़ते है | ना जाने क्यों वो चेहरा नज़र आने लग जाता और ऐसा अहसास होने लगता है जैसे हम नही वो चेहरा ही मुस्कुरा रहा है और उस वक़्त हम, हमारे नही उस चेहरे के हो जाते है |शायद इसीलिए कहते है की यादे आप को अपने आप से जुदा करके किसी और का बना देती है | यादो का रुतबा भी बहुत ऊँचा है , ज़हन का कोई भी पहरेदार इन्हें रोक नही सकता है , इनका जब मन होता है ये ख्यालो के किले में आ जाती है | कोई गीत सुना तो याद आ गई , कोई बात चली तो याद आ गई , कुछ रंग देखे तो गुम हो गए , या कभी बस यू ही ऐसे ही किसी को हिचकिया देने के लिए याद कर लिया |
यादे हम सब को समय से जोड़े रखती है | ये वर्तमान और अतीत के बीच बने पुल से होकर बहने वाली नही है | ये यादे ही है जो इस जीवन को इस दुनिया से जोड़े रखती है नही तो इंसान कब का जोगी हो गया होता | गुलज़ार साहब ने भी क्या खूब कहा है ,

रूखे सूखे तिनके रखना ,
फुकना और जिन्गारिया चखना |
जोगी ये भोगी ये ,
चैन कन्हा होगा ||

देखिये अब सूरज भी उगने लगा है , रात के जाने का वक़्त हो गया है , तो आपका ये माज़ी और ये चाँद दोनों आप से विदा मांगते है और अपनी इस समय की नौका का वर्तमान के किनारे पे लगते है | फिर कभी किसी रात जब चाँद होगा मेरे साथ तो करेंगे कोई और बात और चलेंगे जीवन के किसी और नौका विहार पे| तब तक के लिए धन्यवाद |

Thursday, November 26, 2009

उदास मन


नमस्कार,
ना जाने क्यों मन कभी उदास सा रहता है , और इस उदासी में वो पता नही क्यों बहुत खामोश हो जाता है | जँहा बोलना होता है वंहा भी नही बोलता , लफ्ज़ ना जाने क्यों इतने आलसी हो जाते है की होंटो से फुंटने में भी मायूसी सी ज़ाहिर करने लगते है | ख्यालो की जील से कोई विचार ही नही उमड़ता है , लगता है मनो जैसे इसे शीतलहर ने अपनी चपेट में ले लिया हो , सब कुछ जम सा गया हूँ , चारो और कुछ और नही बस कटीली , कठोर बर्फ हो | सब कुछ थम सा गया हो , लगता है मानो किसी भूकंप की जरूरत है इस बर्फ को तोड़ने के लिए , अपने जीवन को फिर से गतिमान करने के लिए , विचारो की धारा को फिर से प्रवाहित होने देने के लिए | लेकिन सवाल ये है की आखिर ये मन उदास क्यों है ? वो मस्तिस्क जो हमेशा विचारशील हुआ करता था आज इतना शांत क्यों है ? कंही ये उदासी इस दुनिया में लगी जीत और हार की दौड़ के कारण तो नही है | किसी ने मुजसे १ बार कहा था की ,
जो आँखों को आंसुओ फल दे ,
ऐसे सपनो पेड़ के उगाने का फायेदा क्या है ,
जो लूट ले आधी जिंदगी मुजसे मेरी,
ऐसी जीत हार के मायेने क्या है ||
१ बार मुजसे किसी ने पुछा की २ लोगो की मौत हुई और दोनों ने मरते वक़्त दो अलग - अलग बाते बोली
१) "मैं बहुत खुश हूँ "|
२) "मैं सफल हूँ " |
मैं नही जानता किसने अपना जीवन जिया और किसने अपने जीवन को दौड़ में खर्च कर दिया | मैं तो बस इतना जनता हूँ की उदास मन कचोटता है , सवाल पूछता है और तन्हा कर देता है |
अब बस इन्ही कामनाओ के साथ की आप के जीवन के सपनों के पेड़ हमेशा खुशियो के फल दे और उनपे सफलताओ के फूल फलते रहे और आप के ख्यालो की जील पे सुख का सूरज हमेशा जगमगाते रहे | मैं अपने सवालो को यंही विराम देता हूँ |

Sunday, November 8, 2009

हस लो मेरे यारों

नमस्कार ,
सुबह के ८:५५ पे अचानक अपने बिस्तर से उठ के में ये पत्र लिख रहा हूँ .....पता नही क्यों ? शायद कुछ बाते आपकी नीद में इस तरह गूंजती है की उन्हें सब को बताना जरूरी हो जाता है ........तो मैं ये पत्र अपनी उनीदी आँखों से प्रारंभ कर रहा हूँ हां लेकिन पूरी कोशिश करूँगा की मेरे ख्वाब आपके ख्यालो से जुड़ जाए ......हां तो बात ये है की जिन्दगी में मुस्कुराना बहुत जरूरी हो गया है .....पता नही मुजहे क्यों इस बात का अहसास होने लगा की हम लोगे ने काम की आपा धापी में मुस्कुराना कम कर दिया है | अरे भाई जिस पल हम मुस्कुराते है उस पल में उस पल की कमाना सफल हो जाती है , उसका जीवन सफल हो गया है , उसे अपनी मंजिल मिल जाती है | उसके जीवन का १ मात्र निमित था, आप के चेहरे पे १ छोटी सी मुस्कान लाना वो आप ने पूरा कर दिया , उसका जीवन साकार कर दिया | जीवन में कितनी बाते है .....कामनाये, कोशिश , गम , दर्द, आशाये , गुज़रिशे , चाहते , याद , तड़प , आंसू , और इस सब के बीच १ नन्हा सा अहसास खुशी का | अरे जी लो इसे ...नीचोड़ लो १-१ कतरा इसका ....इसकी १ -१ बूंदा बड़ी कीमती है | अरे हसो , मुस्कुराओ , गीत गाओ , नाचो , चलते जाओ | अरे जीना इसी के लिए है | पता नही कब किसकी याद तड़पा दे और आँखों की ज़मीनी को भीगो दे , कब किसका गम आप के आप के मन के गुबारे में दर्द की सुई चुभो दे .....तो मेरे दोस्तों , मेरे यारो , मेरे सफ़र के साथियों , मेरी खुशी को दुगना करने वालो , मेरे गमो को गुमा देने वालो ...हसो, मुस्कुराओ अपने लिए ना सही कम से कम उन लम्हों के जिन्होंने तुम्हे ये जिन्दगी दी है | जिनकी गिनती पे हमारी ये धडकने चलती है | और बस इन्ही लम्हों के साथ , चहरे पे हसी के लिए में अपनी उन्न्दी आँखों को मीचता हूँ और अपने ख्वाब के प्रवाह को यंही विराम देता हूँ |
हँसते रहो , खुश रहो , सुप्रभात |