Thursday, December 27, 2012

दुनिया का अहसास


तलाश है कुछ रोशनी की,
तलाश है कुछ तस्वीरों की,
हाथ में है तो बस कुछ उभरी हुई लकीरे, 
इस दुनिया को महसूस किया है मैंने छुकर ।। 

टटोलता रहता हूँ मैं अक्सर, 
इस दुनिया को अपने हाथो से,
कभी बस की वो मुलायम सीट, 
तो कभी बगल में लगे शीशे को, 
कुछ तस्वीर सी तो बनाई है मैंने भी,
नहीं जानता कैसी होगी हकीकत में रहकर ।।

बड़ा सुकून सा मिलता है मुझको,
जब छुकर जाता है कोई मुलायम हवा का झोंका,
तो कभी कांप जाता हूँ मैं डर से,
सुनकर इस दुनिया का शोर, 
गम, डर, खुशिया सब कुछ मिला है,
इस ज़माने को जाना है मैंने सुनकर ।।

बड़ी खुशी मिलती है उस वक़्त, 
जब कोई पार कराता है सड़क हाथ पकड़कर,
तसल्ली हो जाती है इस मन को तब, 
इस दुनिया में कुछ इंसानियत देख कर ।। 

चलो अच्छा ही है जो ये दुनिया नज़र नहीं आती,  
 नहीं देखना पड़ता है 2  रंग के चहरो को,
बना लेता हूँ इसे वैसा ही, 
जैसा मैं देखना चाहता हूँ,
हँसता हूँ, गाता हूँ,गुनगुनाता हूँ,
जीता हूँ मैं जिंदगी मुस्कुराकर ।।

Sunday, July 8, 2012

कैसी ये शिकायते


अगर होते अंधड़ , आंधी या तुफान ,
तो मैं कोस भी लेता उस खुदा को ,
अब क्या गिला करू मैं उससे ,
अपने मकान को मैंने अपने हाथो से तोड़ा है ।।

कभी जंहा होती थी महफिले , चहल पहल ,
अब वंहा खंडरो की बस्ती है ,
क्या शिकायते करू मैं उससे ,
अपने शहर को मैंने अपनी मर्ज़ी से छोड़ा है ।।

बहाने तो बहुत है शिकायत करने के ,
पर शिकायतों का फायदा क्या ,
राहे तो सभी उसी मंज़िल पर ही जानी थी ,
मेरा नसीब मैंने अपने हाथो से मोड़ा है ।।

दर्द की कुछ यु हमजोली है मुजसे ,
बिना उसके बड़ा तन्हा लगता है ,
अब तो आह भी नहीं फूटती मेरी ,
वक़्त ने कितनी दफा मेरा हाथ मरोड़ा है ।।

ढूंढ़ते रहते थे हम जिन्दगी का फलसफा ,
जानना चाहते थे हम इसका मकसद ,
जान पाए मायने इसके तभी हम तो ,
जब अंत को हमने शुरुआत से जोड़ा है ।।
 

I don't want


I don't want to read a book ,
I don't want to listen to a song,
I don't want to watch a movie ,
I just want to write something,

I don't want to go shopping ,
I don't want to go hiking,
I don't want to go party with you ,
I just want to roam, I just want to wander around.

I don't want to know where the world is ,
I don't want to know who did what,
I don't want to know the latest news ,
All i want to know is who i am ,

I don't care what's the top 10 on billboard,
I don't give a damn what's the point of stock market ,
I don't do what you all do ,
I just want to understand the circle of life .

Sunday, February 12, 2012

रात का सिपाही



एक तन्हा इंसान बैठा है , 
अकेली खाली रात मैं ,
ढूंढ़ रहा है मायेने इस अँधेरे के , 
चाँद में , तारो में , आकाश में ।।

आज की रात भी बड़ी सूनी सी है ,
न शोर है , न भीड़ है , ना कोई बात है ,
है तो बस ख़ामोशी , तन्हाई ,
और कुछ चमचमाते लेम्प पोस्ट ।।

इन लेम्प पोस्टो में रौशनी तो है ,
पर न जाने क्यों ये रात को और अँधेरा ही कर रहे है ,
जैसे इनकी रौशनी ही रात का खाना हो ,
जैसे इन्हें पाकर रात और भी ताकतवर हो गई हो ।।

रात की इस ताकत से कोई और लड़ने वाला भी तो नहीं है ,
बस कुछ ज्हिंगुरो का शोर है ,
और कुछ भोंकने की आवाज़े है ,
बस यही है जिन्होंने रात से लड़ने की ठानी है ।।

जिंदगी की रात से लड़ाई भी कितनी अजीब सी है , 
हमने लड़ने के सारे हथियार बनाये ,
पर हिम्मत नहीं जुटा पाये,
इसलिए हार मान कर सो जाते है ।।

हो सकता है ये हार हो ही नहीं ,
समझोता हो जिंदगी और रात के बीच ,
हम इसे एक तिहाई ज़िंदगी देते है ,
और बदले में ये कुछ ख्वाब दे जाती है ।।

क्या ख्वाबो का सौदा इतना महंगा है ,
चन्द ख्वाब और एक तिहाई ज़िंदगी,
शायद सौदा वाज़िव ही है ,
बिना ख्वाबो के उस एक तिहाई जिंदगी का मोल भी क्या है ।।

ख्वाबो का सिलसिला भी बड़ा अचरज भरा है,
हम ही ढालते है , हम ही पकाते है , हम ही रंग भरते है ,
कुछ टूट जाते है हमारी नासमझी की वजह से ,
कुछ संभाल के रखते है जिंदगी भर के लिए ।।

पर रात, अँधेरा, तन्हाई, ख्वाब, सब ढल ही जाते है,
सूरज का साम्राज्य ही कुछ ऐसा है,
उसके कुछ सिपाही मेरी खिडकियों पर खटखटाने भी लगे है,
कह रहे है की अब मैं जा सकता हूँ , यंहा से अब वो पहरा देंगे ।।