आँखों में तुमने काजल तो डाला,
पर नयनो में धार नहीं,
क्यों तुमको हम चाहे बोलो,
हमको तुमसे प्यार नहीं।।
हमको तुमसे प्यार नहीं।।
सोला आने हुस्न मिला है,
नखरा उस पर सवा दिया,
बोले तुमसे मुस्काये भी,
अपना तो व्यवहार यही,
क्यों तुमको हम चाहे बोलो,
हमको तुमसे प्यार नहीं।।
चटक मटक और ठुमठुम-ठुमठुम,
चाल है लेकिन अदा नहीं,
चेहरा देखे और मर जाये,
इतने भी बेगार नहीं,
क्यों तुमको हम चाहे बोलो,
हमको तुमसे प्यार नहीं।।
देखा तुमको पर जाना नहीं,
जाना तुमको पर माना नहीं,
करे कोई गुस्ताखी हम,
ऐसा कोई विचार नहीं,
क्यों तुमको हम चाहे बोलो,
हमको तुमसे प्यार नहीं।।
बात बात पर तुम रूठो,
और बात बात पर तुम्हे मनाये,
कब तक हम समझाये तुमको,
इतना तुमको अधिकार नहीं,
क्यों तुमको हम चाहे बोलो,
हमको तुमसे प्यार नहीं।।
क्यों तुमको हम चाहे बोलो,
हमको तुमसे प्यार नहीं।।