Thursday, February 14, 2013

हमको तुमसे प्यार नहीं




आँखों में तुमने काजल तो डाला,
पर नयनो में धार नहीं,
क्यों तुमको हम चाहे बोलो,
हमको तुमसे प्यार नहीं।।
हमको तुमसे प्यार नहीं।।

सोला आने हुस्न मिला है,
नखरा उस पर सवा दिया,
बोले तुमसे मुस्काये भी,
अपना तो व्यवहार यही,
क्यों तुमको हम चाहे बोलो,
हमको तुमसे प्यार नहीं।।

चटक मटक और ठुमठुम-ठुमठुम,
चाल है लेकिन अदा नहीं,
चेहरा देखे और मर जाये,
इतने भी बेगार नहीं,
क्यों तुमको हम चाहे बोलो,
हमको तुमसे प्यार नहीं।।


देखा तुमको पर जाना नहीं,
जाना तुमको पर माना नहीं,
करे कोई गुस्ताखी हम,
ऐसा कोई विचार नहीं,
क्यों तुमको हम चाहे बोलो,
हमको तुमसे प्यार नहीं।।

बात बात पर तुम रूठो,
और बात बात पर तुम्हे मनाये,
कब तक हम समझाये तुमको,
इतना तुमको अधिकार नहीं,
क्यों तुमको हम चाहे बोलो,
हमको तुमसे प्यार नहीं।।
क्यों तुमको हम चाहे बोलो,
हमको तुमसे प्यार नहीं।।







Thursday, February 7, 2013

तन्हाई है , तन्हाई है




तन्हाई है , तन्हाई है,
कैसी ये तन्हाई है,
अब तक साथ सभी थे मेरे,
अब तन्हा घड़ी छाई है,
तन्हाई है , तन्हाई है,

काली अंधेरी रात चडी है,
नींद से कैसी लड़ाई है,
अब तो खुद को थपकिया देते है,
अपने लिए ही लोरिया गाई है,
तन्हाई है , तन्हाई है,

छुकर देखा दुनिया को,
पर कोई अहसास नहीं,
रंग लगते है अब सारे फीके फीके,
मन को कैसी उदासी भाई है,
तन्हाई है , तन्हाई है,

जग ने सब कुछ कहा हमें,
जब साथ तुम्हारे होते थे,
दूर है तुमसे अब भी जग कहता है,
कैसी ये दुनिया हरजाई है,
तन्हाई है , तन्हाई है,

आँखों की झील सूख गई है,
अब ना इसमें ख़ुशी मोती,
और ना गम का पानी है,
भीगे थे कुछ पल पहले सब,
पर बरसात ना आई है,
तन्हाई है , तन्हाई है,

गीतों का था दौर जंहा पर,
अब सन्नाटा छाया है,
बजा करते थे ढोल ख़ुशी के,
वंहा दर्द की शहनाई है,
तन्हाई है , तन्हाई है,

खेत बागीचे सुने सुने,
झूले सारे उलझे उलझे,
ले आओ अब यार बहार तुम,
हर कली यंहा मुरझाई है,
तन्हाई है , तन्हाई है,

खाली हाथ हुआ करता था जब,
हँसी साथ थी तब भी मेरे,
पाया सब कुछ, खोया तुमको,
कैसी ये भरपाई है,
तन्हाई है , तन्हाई है,

लौट आये हो यार मेरे तुम,
अब सब सुख भी लौट आयेंगे,
अब न कोई शिकवा है हमको,
ना कोई तन्हाई है,
खुशिया आई है, खुशिया आई है।।