Thursday, June 28, 2007

आज िफर चान्द


आज िफर चान्द की पेशानी से उठता है धुआ
आज िफर महकती रात मै जलना है


आज िफर सीने मै उलझी हुई सान्से है
कट के हर बार टूट ही जायेगी िबखर जाऎगी
आज िफर जागते गुज़रेगी तेरे ख्वाबो मे रात
आज िफर महकती रात मे जलना है


आज िफर खो गये है ख्वाब कही
ढुढने मे सारी रात बीत जायेगी
आज िफर तुमने नीद छुपा दी है
आज िफर महकती रात मे जलना है


आज िफर बािरश हो रही है बाहर
आज िफर चान्दनी के फूल उग आयेगे
आज िफर चान्द की पेशानी से उठता है धुआ
आज िफर महकती रात मे जलना ह

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