Thursday, January 30, 2014

कशमकश




बहुत कुछ कहना है तुमसे,
और कुछ कहना भी नहीं,
उलझा रहता हूँ इसी उधेड़बुन में,
के ये इश्क़ है भी, या नहीं ॥

सोचता हूँ सबकुछ बतलाऊ तुम्हे ,
पर अक्सर खामोश रहता हूँ,
डरता हूँ इस बात से मैं,
के मेरी कशमकश तुम, समझोगे या नहीं ॥

कैसी इस मझधार में फंसा हूँ,
कैसी ये उलझन है मेरी,
कभी लगता है सबकुछ हो तुम,
कभी तुम्हारे कोई मायेने ही नहीं ॥

सोचा बैठे एक रात कोई,
पूछे खुद से सवाल कई,
अब कैसे पहुँचे किसी हल पर हम ,
ये पागल मन, कुछ समझता ही नहीं ॥

फिर घेरा  इस दिल को फिर से,
मैंने अगली रात,
कहा आज ना भागो तुम,
करनी है तुमसे दिल कि बात,
रोक लिया था नींद को मैंने,
लगाया ख्वाबो पर पहरा,
आज निकलेगा हल इस मसले का,
चाहे हो जाये सवेरा,
खूब कही उस रात मुझसे ,
दिल ने दिल कि बात,
मिला फैसला उस रात मुझे,
बताये उसने सारे जस्बात ,
पूछे उनसे दोस्ती के लिए,
इश्क़ का कोई मसला नहीं,
बहुत है  दोस्ती मेरे लिए,
दोस्ती से ज्यादा कुछ भी नहीं ॥



Monday, January 20, 2014

अनकही बातें



होते है वो कुछ दूरी पर ही मुझसे,
पर वो कुछ दूरी बहुत लम्बी सी दुरी लगती है,
नज़रे उठाऊ तो शायद उन्हें देख भी लू,
पर डरता हूँ कंही उन्हें तकता ही ना रह जाउ॥

सोचता हूँ उठ कर जाऊ उन तक,
करू कुछ बात दीनो दुनिया कि उनसे,
कुछ और नहीं तो बस इतना ही सही,
के नाम पूछ लेना तो लाज़मी सा होगा ॥

बातें  तो बस एक बहाना है,
जितनी बातें है उतने ही बहाने है,
हक़ीक़त में तो उन्हें तकता रहना चाहता हूँ,
डूब जाना चाहता हूँ उनकी आँखों कि झील में ॥

कुछ रोज़ हो गए है, वो नज़र नहीं आये है,
पुछा तो जाना कि वो जा चुके है यँहा से,
चलो कोई बात नहीं, बस इतनी सी दुआ है,
कोई और पूछ सके नाम उनसे उनका,
कोई और डूब सके उनकी आँखों कि झील में ॥




Tuesday, January 14, 2014

हमसे ना होगा



ये ना कहो पतंगे से, 
के शमा को बस ताकता रहे,
संग उसके ना जले ये मुमकिन ना होगा,

या तो बसा लो दिल में या रुखसत कर दो, 
कहे हम तुमको दोस्त बस, 
ये जुल्म अब हम पर हमसे ना होगा॥

Friday, January 3, 2014

कल की फ़िक्र



गुज़ार दिया आज मैंने,
कल की फ़िक्र करते हुए,
बीत जाती है ज़िंदगी,
कभी जीते हुए कभी मरते हुए॥

                                                                 उम्र भर भींच कर रखी उंगलिया,
                                                                 खोली मुट्ठी तो बस लकीरे निकली,
                                                                 उम्र बीती फिर भी ये सारी,
                                                                 मेरा मेरा करते हुए॥

जानता हूँ वो वक़्त नहीं है,
पर वो लौट कर आने वाले भी नहीं,
बीतता है अब भी बारिश का मौसम,
याद उन्हें करते हुए॥

                                                                  कुछ मिल गया तो खुश हो ले,
                                                                  कुछ ना मिला तो जाने दे,
                                                                  कुछ और वक़्त है बीत ही जायेगा,
                                                                  कुछ रोते हुए कुछ हँसते हुए॥