होते है वो कुछ दूरी पर ही मुझसे,
पर वो कुछ दूरी बहुत लम्बी सी दुरी लगती है,
नज़रे उठाऊ तो शायद उन्हें देख भी लू,
पर डरता हूँ कंही उन्हें तकता ही ना रह जाउ॥
सोचता हूँ उठ कर जाऊ उन तक,
करू कुछ बात दीनो दुनिया कि उनसे,
कुछ और नहीं तो बस इतना ही सही,
के नाम पूछ लेना तो लाज़मी सा होगा ॥
बातें तो बस एक बहाना है,
जितनी बातें है उतने ही बहाने है,
हक़ीक़त में तो उन्हें तकता रहना चाहता हूँ,
डूब जाना चाहता हूँ उनकी आँखों कि झील में ॥
कुछ रोज़ हो गए है, वो नज़र नहीं आये है,
पुछा तो जाना कि वो जा चुके है यँहा से,
चलो कोई बात नहीं, बस इतनी सी दुआ है,
कोई और पूछ सके नाम उनसे उनका,
कोई और डूब सके उनकी आँखों कि झील में ॥
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