Sunday, December 27, 2009


सुखी संसार

अत्याचार है , हाहाकार है ,
रुदन है पुकार है ,
करुणा है , अशरुओ की धार है |
धित्कार है धित्कार है |
रोती बिलखती आंखे है ,
याचना की ज्ह्न्कार है |
जो गूंजती है मस्तिष्क तक ,
चींख है , चीत्कार है |

विषय बहुत घम्भीर है ,
करना गहन विचार है |
क्या १ gems की गोली देने में ,
हम सब का हितकार है ||
अब माँ ने gems का packet निकला ,
१ गोली दे के उसे चुप करा डाला ,
आसुओ का प्रवाह थम गया था ,
गुमसुम चेहरा गुम गया था ||

वो खुश था पर खुशहाल नही था ,
उसकी आंखो में वो धमाल नही था |
स्वभाव में कितनी आलोचना थी ,
उसके मस्तिष्क में तो कोई और ही योजना थी ||
वो फिर से चीखा, पुनह चीत्कार है |
पर अब ना वो करुणा है , ना ही पुकार है |
अब तो उसके नयनो में बस स्वार्थ ही स्वार्थ है ,
क्योकि उसका तो पूरा packet लेना का विचार है ||

पर ये अब भी कितना निर्मल, कितना निष्काम है ,
कितना निस्वार्थ सा स्वार्थ है |
क्योकि वो अब भी इस बात से बेखबर है ,
की पुरे packet पे उसी का अधिकार है ||

माँ के पास करुणा है, ममता है,
पर साथ में कुशल गृहणी का अधिकार है |
इसलिए ज्यादा नही ,
१ की जगह २ ही गोली देने का विचार है ||
२ लाल रंग की गोलिया पा कर ,
वो भी लाल हो गया |
उस मीठे से स्वाद से ,
वो तो निहाल हो गया ||
सारी त्रष्णा तृप्त हो गई ,
जीवन की अभिलाषा मस्त हो गई |
वो तो ख़ुशी से ज्हूम रहा था ,
१ जगह से दूसरी जगह घूम रहा था |
उसके और माँ के मन में, १ ही विचार था ,
वो दोनो खुश थे , उन दोनो के पास सुखी संसार था ||
उन दोनो के पास सुखी संसार था ||

2 comments:

Mayank said...

Nice yaar........but have you tried to base it on the photo alone .......matlab merko pura thought samjh nahi aaya........kya convey karna chah raha hai......some times very intense and deep some time very shallow ........

Anonymous said...

Acha hai..poet ji..