Sunday, November 8, 2009

हस लो मेरे यारों

नमस्कार ,
सुबह के ८:५५ पे अचानक अपने बिस्तर से उठ के में ये पत्र लिख रहा हूँ .....पता नही क्यों ? शायद कुछ बाते आपकी नीद में इस तरह गूंजती है की उन्हें सब को बताना जरूरी हो जाता है ........तो मैं ये पत्र अपनी उनीदी आँखों से प्रारंभ कर रहा हूँ हां लेकिन पूरी कोशिश करूँगा की मेरे ख्वाब आपके ख्यालो से जुड़ जाए ......हां तो बात ये है की जिन्दगी में मुस्कुराना बहुत जरूरी हो गया है .....पता नही मुजहे क्यों इस बात का अहसास होने लगा की हम लोगे ने काम की आपा धापी में मुस्कुराना कम कर दिया है | अरे भाई जिस पल हम मुस्कुराते है उस पल में उस पल की कमाना सफल हो जाती है , उसका जीवन सफल हो गया है , उसे अपनी मंजिल मिल जाती है | उसके जीवन का १ मात्र निमित था, आप के चेहरे पे १ छोटी सी मुस्कान लाना वो आप ने पूरा कर दिया , उसका जीवन साकार कर दिया | जीवन में कितनी बाते है .....कामनाये, कोशिश , गम , दर्द, आशाये , गुज़रिशे , चाहते , याद , तड़प , आंसू , और इस सब के बीच १ नन्हा सा अहसास खुशी का | अरे जी लो इसे ...नीचोड़ लो १-१ कतरा इसका ....इसकी १ -१ बूंदा बड़ी कीमती है | अरे हसो , मुस्कुराओ , गीत गाओ , नाचो , चलते जाओ | अरे जीना इसी के लिए है | पता नही कब किसकी याद तड़पा दे और आँखों की ज़मीनी को भीगो दे , कब किसका गम आप के आप के मन के गुबारे में दर्द की सुई चुभो दे .....तो मेरे दोस्तों , मेरे यारो , मेरे सफ़र के साथियों , मेरी खुशी को दुगना करने वालो , मेरे गमो को गुमा देने वालो ...हसो, मुस्कुराओ अपने लिए ना सही कम से कम उन लम्हों के जिन्होंने तुम्हे ये जिन्दगी दी है | जिनकी गिनती पे हमारी ये धडकने चलती है | और बस इन्ही लम्हों के साथ , चहरे पे हसी के लिए में अपनी उन्न्दी आँखों को मीचता हूँ और अपने ख्वाब के प्रवाह को यंही विराम देता हूँ |
हँसते रहो , खुश रहो , सुप्रभात |

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