Saturday, August 14, 2010

अब तो कोई बात चले



सुने सूखे खतो को अब ,
शब्दों का आधार मिले ,
तोड़ दो इस ख़ामोशी को ,
अब तो कोई बात चले ||

किसी का खोया प्यार बुला लो ,
किसी का बदलता इश्क उठ लो ,
कोई भूली बिसरी दुर्घटना से ,
यादो के फिर फूल खिले |
तोड़ दो इस ख़ामोशी को ,
अब तो कोई बात चले ||

सुख गई है बातो की नदिया ,
एक रसता के आकाल में ,
खोदे हम इसतिहास को अपने ,
शब्दों का नलकूप मिले ,
तोड़ दो इस ख़ामोशी को ,
अब तो कोई बात चले ||

उड़ाले आसमान में गुबारे ,
बाद में चाहे वो खो जाये ,
पहले फैलाये अफवाहों को हम ,
फिर सच्चाई का दौर चले ,
तोड़ दो इस ख़ामोशी को ,
अब तो कोई बात चले ||

4 comments:

Pratik said...

kya baat hai bhai praveen. kafi'akelapan' mehsus kar rahe ho aap?? kisi se especially baat karna chahte ho kya?? ;)

Unknown said...

baat kisi khaas ki nahi baat tho baat ki pratik bhai ....

Vikas Choudhary said...

mast kawita pbc......

pbasu said...

good work pbc..

toh ab toh koi apki shaadi waadi ki bhi baat chalein :)